27 फरवरी को राजस्थान धर्मकांटा एसोसिएशन (रजिस्टर्ड) द्वारा, विधिक माप विज्ञान के उपनियंत्रक, श्रीमान चांदीराम जसवानी को लिखे गए पत्र में, धर्मकांटा मालिकों पर लगाए जाने वाले जुर्माने पे चिंता व्यथित की गयी।
एसोसिऐक्शन का दावा है की बाटमाप विभाग के अधिकारियों द्वारा, धर्मकांटे पर जाकर एक टन के बाट ना होने पर धर्मकांटों पर जुर्माना लगाया जा रहा है, जबकि वर्ष 2009 में धर्मकांटों पर एक टन के बाट रखने की प्रतिबद्धता को समाप्त कर दिया गया था ।
आगे पत्र में समझाते हुए, की कैसे 1986 में आये इस नियम को धर्मकांटों की तौल क्षमता बढ़ने और उसके कारण कैलिब्रेशन में होने वाली समस्याओं एवं मोबाइल कैलिब्रेशन ट्रक के आने से, 2009 में बदल दिया गया था । इस कारण धर्मकांटा मालिकों को अपने एक टन के बाट स्क्रेप के भाव में बेचने पड़े, और कैलिब्रेशन ट्रक से जांच कराने के लिए 3500/- रुपय की अतिरिक्त फीस भरनी पड़ी । एसोसिएशन का कहना है, की अब बाटमाप विभाग द्वारा वापिस एक टन बाट धर्मकांटों पर रखने हेतु दबाव बनाया जा रहा है, और न रखने पर जुरमाना किया जा रहा है।
विभाग और मालिकों का, धर्मकांटे के सही वज़न देने को सामान्य उद्देश्य बताते हुए एसोसिएशन ने अपने कुछ
सुझाव सामने रखे –
पहला, की एक क्षेत्र के धर्मकांटों के सत्यापन का समय साल में छह – छह महीने के दो स्लॉट में बांट दिया जाए ।
दूसरा, एक क्षेत्र या सड़क पर आने वाले धरमकांटो को चैक करने से एक दिन पहले मालिकों को उनके मोबाइल पे सूचित किया जाये, ताकि तय दिवस पर कांटा मालिक एवं मैकेनिक बाट माप विभाग द्वारा सत्यापित एक टन के अपने बाट और उनको उठाने के लिए मजदूर तैयार रख पाए ।
तीसरा, अगर किसी व्यक्ति की शिकायत के ऊपर विभाग का इंस्पेक्टर धर्मकांटे पर आता है, तो वो एक घंटे का समय दे ताकि उतने समय में जिस मैकेनिक को धर्मकांटे की वार्षिक रखरखाव की AMC दे रखी है वह अपनी पिकअप ट्रक में एक टन के सत्यापित बाट और मजदूर लेके आ जाये ।
राजस्थान कांटा एस्सोसिएशन ने अपनी तरफ से एक टन के बाट दान करने की भी बात की ताकि धर्मकांटा व्यवसायी भाइयों को किसी तकलीफ से न गुज़ारना पड़े।
पत्र के अंत में एस्सोसिएशन ने कहा, की यदि विभाग धर्मकांटा मालिकों की परेशानियों को समझे बिना एक तरफ़ा सीज़ करने या जुर्माना लगाने की कार्यवाही करती रहेगी, तो उन्हें अपनी समस्या लेकर राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक जाना पड़ेगा और फिर भी समाधान नहीं निकला तो वह सभी धर्मकांटों के मालिकों के साथ अनिष्चितकालीन हड़ताल पे चले जाएंगे ।
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